वह द्वन्द-पूर्ण मन:स्थिति जब वृद्ध माता-पिता को अकेला छोड़ कर लौट जाने की विवशता और उनकी अधिकाधिक सेवा करने के कर्त्तव्य के बीच का द्वन्द विवशता के पक्ष में निर्णायक रूप लेता है|
That torn feeling of leaving ageing parents alone again after spending a short few weeks with them, as they begin a wait for the next visit
Rashmi Bhatia says:
इस द्वंद्व स्तिथि का अनुभव मुझे भी हुआ है. सोचती हू, स्वार्थ है या जीवन की प्रक्रिया। परिवर्तन तो होगा, सब को अपने यात्री स्वयं ही चलनी है. पहली पीढ़ी आगे की पीढ़ी का संचार अपने भविष्य की आवश्कताओ को मध्य नज़र रख केर नहीं करती , माता पिता की यही तो उदारता होती है.
Mukul Saran says:
द्वंद का एक कारण है ये न समझ पाना कि स्वयं को किस सीमा तक कष्ट देना उचित है माता -पिता की सेवा के लिए| दूसरी ओर माता -पिता अपनी संतान के लिए इस प्रकार का कोई आँकलन नहीं करते|